Add To collaction

लेखनी कहानी -10-Jan-2023 मुहावरों पर आधारित कहानियां

3. ऊंची दुकान और फीके पकवान 


यह कहानी इसी मुहावरे पर आधारित है । 

"ओए छोटू, एक चाय लेकर आना" एक ग्राहक चिल्लाया । 
"अभी लाया सर" और छोटू चाय का गिलास लाकर उस ग्राहक को पकड़ा देता है । 
"और क्या हाल चाल हैं तेरे ? आजकल तो तू सिनेमा हॉल में कहीं दिखता ही नहीं है । फिल्म देखना छोड़ दिया है क्या तूने" ? 
"क्या बताऊं सर , आजकल फिल्में ऐसी बन ही नहीं रही हैं जिन्हें देखने समय और पैसा खर्च करके जाया जाये । अब तो ऊलजलूल फिल्में ही बन रही हैं जिन्हें झेलने की ताकत मेरे जैसे आदमी में नहीं है" । छोटू ने अपनी मजबूरी बता दी 
"सही कह रहा है छोटू, आजकल फिल्में ऐसी ही बन रही हैं । मैं भी नहीं जाता हूं फिल्म देखने । इन एजेण्डाबाजों ने बॉलीवुड को करांचीवुड में तब्दील कर दिया है । अब तो इनकी पिक्चर पाकिस्तानी ही देखते हैं, भारतीय नहीं" । 
"बिल्कुल सही कहा सर आपने । एक फिल्म देखने में पांच सौ का पत्ता साफ हो जाता है और दिन भर की छुट्टीभी लेनी पड़ती है । दिहाड़ी गई सो अलग । कितनी मंहगी पड़ती है एक फिल्म" ? 
"हां, वो तो है । और सुना , आजकल तेरे ख्वाबों में वो खूबसूरत हीरोइन सकीना बानो आती है कि नहीं" ? 

सकीना बानो का नाम सुनकर छोटू के गाल लाल हो गये और आंखों में नशा सा छा गया "सर, हर रात आती है सपने में वो । कभी अपनी बांहों के झूले में झुलाती है , कभी सीने से लगाती है । उसका जादू ऐसा चढा है सर कि आजकल तो मैंने चाय पीना भी छोड़ दिया है" । 
"वो भला किस खुशी में ? क्या सकीना आकर दूध पिला जाती है" ? उसने व्यंग्य बाण छोड़ा 
"वह दूध तो नहीं पिलाती है मगर सपनों में अपने अधरों के जाम जरूर पिला जाती है । बस, उसी के नशे में झूमता रहता हूं दिन भर" । 
"अरे हां, याद आया कि सकीना की फिल्म "दूर हट" अभी दो चार दिन में आने वाली है । तेरी तो मनपसंद हीरोइन है , तू जायेगा क्या उसे देखने" ? 
"क्या सर, ये भी कोई पूछने की बात है ? जाऊंगा, जरूर जाऊंगा । सिर के बल जाऊंगा । मैंने उसकी एक भी फिल्म नहीं छोड़ी है अब तक । अगर आप साथ चलो तो मजा आ जाये" छोटू जोश जोश में बोल गया । 
"अभी से हाउसफुल हो गये हैं उसके । अगले एक सप्ताह तक कोई सीट खाली नहीं है । उसके बाद चलेंगे" । कहकर ग्राहक उठकर खड़ा हुआ । 
"आप भी कैसी बातें करते हैं सर ? मैं तो सकीना जी की फिल्म का पहले दिन का पहला शो ही देखता आया हूं अब तक । अब भी वही देखूंगा" उसका आत्मविश्वास गजब का था । 
"तो एक टिकट मेरे लिए भी जुगाड़ कर लेना भीड़ू । ठीक है चलता हूं" । 

छोटू वैसे तो एक रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी करता था मगर बॉलीवुड की हीरोइन सकीना का बहुत बड़ा फैन था । उसकी हर फिल्म का पहला शो हर हाल में देखता था वह । इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े । पांच सौ का टिकट चाहे पांच हजार में ही खरीदना पड़े । आखिर उसके सपनों की रानी थी सकीना बानो । उसकी आंखें राखी जैसी, होंठ श्रीदेवी जैसे और गाल लीना चंदावरकर जैसे गोरे गोरे थे । वह जूही चावला जैसी चुलबुली थी और उसकी मुस्कान मधुबाला जैसी थी । लंबे घने काले घुंघराले बाल मीना कुमारी जैसे थे । वह उसका दीवाना था । उसके सपनों में सकीना का रोज आना जाना था । फूलों की घाटियों में वह और सकीना घंटों इश्क के पेंच लड़ाया करते थे । वह सपनों की दुनिया में ही जिंदा रह रहा था । एक गरीब आदमी सपनों की दुनिया में रहकर ही जिंदा रह सकता है वरना जमाने में तो मौत का सामान हर कोई बांट रहा है । 

फिल्म "दूर हट" बहुत घटिया थी पर छोटू जैसे लोग फिल्म देखने नहीं सकीना बानो को देखने जाते हैं और इस तरह ये लोग सकीना की हर फिल्म को सुपर डुपर हिट करा आते हैं । छोटू जैसे लोगों के कारण ही सकीना जैसी हीरोइन सुपर सेलिब्रिटी बनी हुई थी । 

एक दिन छोटू हमेशा की तरह चाय सर्व कर रहा था कि वही ग्राहक फिर से आ गया । फिर से ढेर सारी बातें हुईं । वह बोला "छोटू, आजकल तो तेरी सकीना के हाल बहुत खराब हैं" 
"क्यों , क्या हो गया मेरी सकीना को" ? 
"अरे, कुछ खास नहीं । उसका नौकर उसे छोड़कर चला गया है । उसके मैनेजर ने मुझे कल ही बताया है" 
"तो कोई जल्दी से दूसरे नौकर की व्यवस्था करवा दो न" 
"आजकल अच्छे नौकर मिलते कहां हैं ? अरे हां , तू करेगा उनके यहां नौकरी" ? 

यह सुनकर छोटू खुशी से उछल पड़ा । "क्या मैं कर सकता हूं मैडम का यहां नौकरी" ? ।
"हां हां , क्यों नहीं । तुम भी कर सकते हो" 
"सच" ? खुशी के मारे छोटू ने उन सज्जन को बांहों में भर लिया । 
"अरे, छोड़ मुझे । मैं सकीना थोड़े ही हूं । और ध्यान रखना कि ऐसी वैसी हरकत वहां मत कर देना" 
"यस सर" । छोटू ने उसे एक जबरदस्त सैल्यूट ठोका 

अगले दिन छोटू सकीना की खिदमत में हाजिर हो गया । सकीना के घर में नौकरों की फौज थी । 10 तो ड्राइवर ही थे । 20-25 आदमी साफ सफाई करने वाले थे । करीब 50 आदमी खाना, नाश्ता वगैरह बनाने, सर्व करने और बर्तन साफ करने हेतु लगे हुए थे । 30-40 नौकर और थे । इतनी बड़ी फौज में छोटू का कोई अता पता लगने वाला नहीं था । 

महीना भर हो गया था छोटू को वहां काम करते करते लेकिन सकीना के सामने जाने का उसे एक भी मौका नहीं मिला । कितने चाव से आया था वह यहां ? जिस देवी के दर्शनों के लिए वह यहां आया था , वह देवी तो कभी कभार ही झरोखा दर्शन देती हैं । पर एक महीने बाद भी छोटू तो दर्शनों का प्यासा ही रह गया । इससे छोटू बहुत निराश हो गया था । 

एक दिन एक पुराना नौकर "काका" गांव चला गया था तो छोटू को सफाई के लिए अंदर भेज दिया गया । छोटू बड़ा खुश हुआ कि चलो आज तो देवी के दर्शन हो ही जायेंगे । वह खुशी खुशी सफाई करने लग गया । करीब दो घंटे सफाई करने के बाद वह थोड़ा सुस्ताने के लिए लॉन में चला गया । वहां पर एक अधेड़ सी औरत बैठी हुई थी । सांवली सी वह औरत जिसकी आंखें छोटी छोटी, होंठ मोटे मोटे और बाल बड़े रूखे रूखे से लग रहे थे । छोटू को लगा कि यह उसकी तरह ही कोई नौकरानी होगी इसलिए वह उसके पास जाकर बैठ गया । उस औरत ने छोटू को आग्नेय नेत्रों से देखा लेकिन छोटू चुपचाप बैठा रहा । वह कोई गीत गुनगुनाने लगी । कितनी कर्कश आवाज थी उस औरत की कि छोटू बता नहीं सकता था ? वह अब और नहीं सुन सकता था इसलिए वहां से उठकर अंदर आ गया । 

बहुत देर बाद भी जब सकीना बानो कहीं नहीं दिखीं तब छोटू ने एक दूसरे नौकर से पूछा " सकीना मैडम कहीं बाहर गई हैं क्या" ? 
दूसरे नौकर ने छोटू को आश्चर्य से देखा और कहा "वहां बाहर बैठी हैं ना मैडम" 
"बाहर ! बाहर कहां पर" ? 
"वहां लॉन में" 
"पर लॉन में तो एक अधेड़ सी नौकरानी सुस्ता रही है । उसके अलावा और कोई नहीं है वहां पर" 

दूसरे नौकर ने छोटू के मुंह पर हाथ रखते हुए लगभग चीखते हुए कहा "चुप कर साले । वो नौकरानी नहीं, सकीना मैडम स्वयं हैं" ।

छोटू को अपनी आंखों और कानों पर विश्वास नहीं हुआ । ये नौकर जो कह रहा है क्या वह सही है ? वह अधेड़ सी औरत जो कि सांवली या काली है , जिसकी आंखें नेपाली बालाओं सी छोटी छोटी, होंठ भैंस जैसे मोटे मोटे और गालों की हड्डी उभरी हुई है । वह हंसती है तो टुनटुन सी लगती है और उसके बड़े बड़े दांत दूर से ही दिखते हैं । क्या वह सकीना बानो है ? वही हुस्न परी जो रुपहले पर्दे पर अपनी अदाओं से आग लगा देती है ? उसे समझ नहीं आ रहा था कि रील वाली सकीना बानो असली है या रियल वाली ? 

उसकी शंका वह दूसरा नौकर भांप गया । वह कहने लगा "वह भी इसी चक्कर में यहां आ गया कि वह एक हुस्न परी को रोज देखता रहेगा मगर यहां तो हाल ही उल्टा है । ऊंची दुकान और फीके पकवान " 

छोटू के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी । जो सपने वह पिछले एक महीने से पाले बैठा था वे सब एक ही पल में ध्वस्त हो गये । एक खूबसूरत शुरुआत का ऐसा भीषण अंत होगा, छोटू ने कभी सोचा नहीं था । "क्या से क्या हो गया , बेवफा तेरे प्यार में । चाहा क्या क्या मिला, बेवफा तेरे प्यार में" । आज उसे समझ में आया कि बॉलीवुड को मायानगरी क्यों कहते हैं । जो जैसा दिखता है वह वैसा सचमुच में होता नहीं है । छोटू से ज्यादा और कौन जान सकता है इस सत्य को । लेकिन अब क्या हो सकता है ? अब तो खूंटा तुड़ा कर भागा जा सकता है और क्या ? छोटू सोचने लगा । उसे महसूस हो गया कि इस नौकरी से तो वो चाय की दुकान पर नौकरी ही बेहतर है । सेठजी से दो चार मिन्नतें कर लेगा तो सेठजी का दिल पसीज जायेगा । फिर वे उसे वापस नौकरी पर रख लेंगे । हां यही ठीक रहेगा । 

यह सोचकर छोटू अपनी कोठरी में गया और अपने कपड़े वगैरह जमाने लगा । वही नौकर वहां आया और पूछने लगा "क्या कर रहे हो भैया जी" ? 
"देखते नहीं , अपने घर जाने की तैयारी कर रहा हूं" छोटू ने तनिक तिक्त स्वर में कहा 
"हां, वो तो मैं देख रहा हूं मगर जाओगे कहां" ? 
"कहां से क्या मतलब है आपका ? जहां मेरा घर है वहीं जाऊंगा और कहां जाऊंगा" ? 
"अच्छा, मतलब इस बंगले से बाहर" ? 
"जाहिर है, इस बंगले से बाहर जाऊंगा तभी अपने घर पहुंच पाऊंगा" । छोटू की खिन्नता और बढ़ गई । 

वह नौकर जोर से हंसा । अबकी बार छोटू ने उसे आश्चर्य से देखा और पूछा "मैंने कुछ वाहियात बात कह दी है क्या जो तुम ऐसे हंस रहे हो" ? 
"नहीं भाई, नहीं । मुझे माफ करना मैं अपनी हंसी रोक नहीं पाया । दरअसल वे तुम्हें दो साल तक कहीं जाने नहीं देंगे । वे तुमसे इस बात का लिखित में एक बॉंड भरवा चुके हैं । याद आया कुछ" ? 
छोटू को याद आया के उस ग्राहक ने एक फोटो लगे कागज पर उसके हस्ताक्षर लिये थे । वह बॉंड ही होगा ? अब क्या हो सकता है भला ? अब तो फंस गये । न निगलते बन रहा है और न उगलते । अब तो भलाई इसी में है कि चुपचाप दो साल तक दिन काटते रहो । सपनों के पीछे भागोगे तो ऐसे ही ठगाते जाओगे । ये बॉलीवुड नहीं "धोखावुड" है । पर वो कहावत है ना कि अब पछताये होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत । बड़े लोगों ने सही कहा है ऊंची दुकान और फीके पकवान 

श्री हरि 
11.1.2023 

   7
6 Comments

Gunjan Kamal

20-Jan-2023 04:31 PM

बहुत ही सुन्दर

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jan-2023 08:13 PM

धन्यवाद जी

Reply

Mahendra Bhatt

13-Jan-2023 10:14 AM

शानदार

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

13-Jan-2023 04:38 PM

💐💐🙏🙏

Reply

अदिति झा

12-Jan-2023 03:49 PM

Nice 👍🏼

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

13-Jan-2023 04:38 PM

💐💐🙏🙏

Reply